जय माँ शैलपुत्री


दोस्तों आज शारदीय नवरात्र का पहला दिन है और आज हम माँ शैलपुत्री की उपासना करते हैं। आप सभी को  नवरात्र की बहुत-बहुत शुभकामनायें। नवरात्र के पहले दिन पूजी जाने वाली माँ शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल तथा बाएं हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है। आइए जानते हैं माँ शैलपुत्री के बारे में कुछ रोचक  तथ्य।  
माँ शैलपुत्री अपने पूर्व जन्म में प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं और इन्हे सती के नाम से जाना जाता है। उस जन्म में इनका विवाह भोलेनाथ के साथ हुआ था। कथा के अनुसार एक बार प्रजापति दक्ष ने बहुत बड़ा यज्ञ किया जिसमे सभी लोगों को आमंत्रण दिया गया सिवाय भगवान शंकर के। जब सती को ये बात पता चली की उनके पिता एक विशाल यज्ञ का अनुष्ठान कर रहे हैं तो उनका मन वहां जाने को विकल हो उठा, उन्होंने अपनी ये इच्छा भगवान शंकर को बताई। तमाम बातों पर विचार करते हुए उन्होंने कहा कि प्रजापति दक्ष किसी कारण उनसे रुष्ट हैं अतः उन्हें वहां नहीं जाना चाहिए मगर सती ने भोलेनाथ की बात नहीं मानी और यज्ञ देखने धरती की ओर चली गयीं मगर वहां पहुँचने के बाद वहां का दृश्य देखकर उन्हें काफी दुःख हुआ। उन्होंने  देखा कि उनसे बात करने के लिए कोई  भी तैयार नहीं है, उनकी बहनों की बोली में व्यंग्य व्याप्त है, तथा उन्होंने यह भी देखा की वहां किसी के भी हृदय में भोलेनाथ के लिए आदर की भावना नहीं है। 
ऐसा दृश्य  देखकर सती को भगवान शंकर की बात न मानने का बड़ा दुःख हुआ और उन्होंने उसी क्षण अपने इस रूप को अग्नि में भस्म कर दिया। सती के देह त्यागने की खबर सुनकर भगवान शंकर ने अपने दूतों को भेजकर  प्रजापति  दक्ष का यज्ञ उसी क्षण विध्वस कर  दिया। 
अगले जन्म में सती ने हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया और शैलपुत्री के रूप में प्रसिद्ध हुईं। नवरात्र के पहले दिन पूजी जाने वाली अनंत शक्तियों से निहित माता शैलपुत्री को हमारा शत-शत नमन।।    दोस्तों आज शारदीय नवरात्र का पहला दिन है और आज हम माँ शैलपुत्री की उपासना करते हैं


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