जय माँ कूष्माण्डा


आज  शारदीय नवरात्र का चौथा दिन है और आज माँ दुर्गा माता कूष्माण्डा का रूप धारण करतीं हैं। आज माँ दुर्गा के भक्त माँ कूष्माण्डा की उपासना करते हैं. आइये जानते हैं माँ कूष्माण्डा के बारे में कुछ तथ्य.

माँ कूष्माण्डा की कथा के अनुसार जब संसार में चारों ओर अँधेरा था तब माँ कूष्माण्डा ने सूर्य की रचना की और सारे संसार में उजाला कर दिया. कथा के अनुसार माँ कूष्माण्डा के बाएं नेत्र से माँ काली का उदय हुआ है, उनके तीसरे नेत्र से महालक्ष्मी का उदय हुआ है, तथा उनके दायें नेत्र से माँ सरस्वती का उदय हुआ है.
माँ कूष्माण्डा को ही हम आदि शक्ति के नाम से जानते हैं. माँ कूष्माण्डा और भगवान शिव ने मिलकर इस सृस्टि का निर्माण किया है और क्योंकि माँ काली भी माँ कूष्माण्डा का ही एक रूप है इसीलिए कई स्थानो पर माँ काली के भगवान शिव की अर्धांगिनी होने का उल्लेख मिलता है. माँ कूष्माण्डा ही इन तीनों देवियों के मिलने पर चंडी का रूप धारण कर लेती हैं.

शक्ति के इस रूप को हमारा शत-शत नमन. 

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