आज शारदीय नवरात्र का सातवां दिन है और आज लगभग सभी पंडालों के पट खुल चुके हैं। आज माँ दुर्गा के सातवें रूप कालरात्रि की उपासना होती है। माँ कालरात्रि दुष्टों के लिए जितनी निर्दयी है भक्तों के लिए उतनी ही दयालु हैं। आइये जानते हैं माँ कालरात्रि की कथा।
एक बार सुम्भ-निशुम्भ नामक दानवों ने धरती पर हाहाकार मचा दिया. सभी देवगन माता पार्वती के पास मदद मांगने गए. तब माता पार्वती ने देवी चंडी का निर्माण किया और उन दो असुरों से लड़ने के लिए भेजा. लेकिन सुम्भ-निशुम्भ अपने साथ चण्ड-मुंड नामक दो और असुरों को ले आये. तब देवी चंडी ने देवी कालरात्रि का निर्माण किया जिन्होंने चण्ड-मुंड असुरों का संहार किया.
एक और कथा के अनुसार माता पार्वती ने माँ कालरात्रि का निर्माण महिषासुर नामक असुर का संहार करने के लिए किया था. महिषासुर को आशीर्वाद मिला था की अगर उसका एक बूँद रक्त भी धरती पर गिरेगा तो उससे अनेकों महिषासुरों का निर्माण हो जायेगा इसिलए जब माँ कालरात्रि ने महषासुर का संहार किया तब उसका सारा रक्त पी लिया ताकि उसका एक भी बूँद धरती पर ना गिरे. इस प्रकार महिषासुर का वध हुआ. माँ कालरात्रि के इस स्वरुप को हमारा शत-शत नमन.