जय माँ चंद्रघंटा


आज शारदीय नवरात्र का तीसरा दिन है. आज माँ दुर्गा के भक्त माँ चंद्रघंटा की उपासना करते हैं. माँ का ये स्वरुप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है. इन दस हाथ हैं और इनकी उपासना समस्त चिंताओं और दुखों से मुक्त कर देती है. इनकी आराधना सदैव फलदायी है. इनके घंटे की ध्वनि सदैव अपने भक्तों की रक्षा करती है.

माँ का स्वरुप हमेशा शांति से भरपूर रहता है. ये हमेशा युद्ध की मुद्रा में रहतीं हैं. माँ के उपासक जहाँ भी जाते हैं उन्हें देखकर सभी को शांति का अनुभव होता है. हमें निरंतर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखते हुए साधना की ओर अग्रसर होने का प्रयत्न करना चाहिए.
उनकी उपासना के लिए निम्नलिखित श्लोक प्रचलित है:-
या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता
नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नमः
माँ दुर्गा के इस शांतिमय स्वरुप को हमारा शत शत नमन.

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