आज नवरात्र का नौवां दिन है। कल माँ दुर्गा वापस अपने धाम चली जाएँगी। आज माँ के नौवें रूप माँ सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है। माँ सिद्धिदात्री का रूप काफी शांतिमय है। वे अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं। सिद्धिदात्री का अर्थ है सिद्धि यानि की शक्ति प्रदान करने वालीं। आइये जानते है माँ सिद्धिदात्री की कथा।
माँ सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सभी प्रकार की शक्तियां प्रदान करतीं हैं। पुराणों के अनुसार भगवान शिव ने इन्हीं की कृपा से शक्तियां प्राप्त की थीं। इनकी अनुकम्पा से ही उनका आधा शरीर देवी का हुआ तथा वो तीनों लोकों में अर्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। माँ सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। माँ की आराधना के लिए इस श्लोक का जाप करना चाहिए।
या देवी सर्वभूतेषु सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नमः।।
माँ सिद्धिदात्री के इस रूप को हमारा शत-शत नमन।
माँ सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सभी प्रकार की शक्तियां प्रदान करतीं हैं। पुराणों के अनुसार भगवान शिव ने इन्हीं की कृपा से शक्तियां प्राप्त की थीं। इनकी अनुकम्पा से ही उनका आधा शरीर देवी का हुआ तथा वो तीनों लोकों में अर्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। माँ सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। माँ की आराधना के लिए इस श्लोक का जाप करना चाहिए।
या देवी सर्वभूतेषु सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नमः।।
माँ सिद्धिदात्री के इस रूप को हमारा शत-शत नमन।